हे सूर्य की पहली किरण द्वार तो मेंने लिए खोले है लेकिन संदेशा कोई खुशी का है तो मेरे घर आना | अगर संदेशा तेरे पास कोई प्यार का है तो मेरा द्वार खट्खटाना | यदि तेरे पास मेरे लिए उमंग और उल्लास है तो तेरा स्वागत है | निराशा - निशा ने बहुत अंधकार कर दिया है | अपनी रश्मि -करो में आशा का दीप लेकर यदि आयी है तो आकाश में जो तेने जो सप्त रंग बिखेरे है उनसे में अपना आँगन सजालूंगी | मैने तो हर द्वार पर हमेशा यही लिखा है ख़ुश रहें हम खुश रहो तुम | आज भी इसी भावना से भरा है मेरा आँचल | सबको मुठ्ठी भर के प्रकाश दान कर सकूँ | बस यही चेतना मुझे देना जब भी लिखूं शुभ लिखूं | नमस्कार मित्रों
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