Wednesday 13 January 2016

rshmi

हे सूर्य की पहली किरण  द्वार तो मेंने  लिए खोले है लेकिन संदेशा कोई खुशी का है तो मेरे घर आना | अगर संदेशा तेरे पास  कोई  प्यार का है तो मेरा द्वार  खट्खटाना |  यदि तेरे पास मेरे लिए   उमंग और उल्लास है तो तेरा स्वागत है |  निराशा - निशा  ने बहुत  अंधकार कर दिया है  | अपनी रश्मि -करो में आशा का दीप लेकर  यदि आयी है तो आकाश में जो तेने जो सप्त रंग बिखेरे है  उनसे में अपना आँगन सजालूंगी | मैने तो हर द्वार पर हमेशा यही लिखा है ख़ुश रहें हम खुश रहो तुम | आज  भी इसी भावना से  भरा है  मेरा आँचल | सबको मुठ्ठी  भर के प्रकाश दान कर सकूँ | बस यही चेतना मुझे देना जब  भी लिखूं  शुभ लिखूं | नमस्कार मित्रों

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