Monday 4 January 2016

jiivan

विचारों की नौका फँसी है जीवन के झंझवातो में | यह कैसा तूफान आया जिसने विचार और भावों की लता को मुरझा दिया | यह कैसी सुनामी है  जिसने जीवन का अर्थ ही बदल दिया | स्वप्न  स्वप्न ही रह गया लेकिन समुद्र में उठती लहरे कभी थकती  नही   वह कूल तक सतत् प्रयास करती है कभी तो विचारों की नौका झंझावातो पर विजय पायेगी | कभी तो स्वप्नों को रंग मिलेगा | कभी तो आशा का नीड़ फिर से महकेगा | शुभ शब्दों की वंदनवार द्वार-द्वार पर सजाने का संकल्प अवश्य पूरा होगा | शब्द सीमित है लेकिन  भाव गहरा  है |

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