Monday 27 November 2017

 आज का तारो भरा आकाश प्रभात का स्वागत करता है
ये तारे खुद तो मिटते है लेकिन धरा को   पहना    जाते  है सुनहरी चुनर

Thursday 26 October 2017

sontara

हे कृष्ण  तुमने आँखे  क्यों बंद कर रखी है  जो आँसू  तुम ने ही   दिए   उसे तुम नहीं  देख सको    वंशी  इसलिए बजाते हो  जिससे तुम ममत्व  ओर वात्सल्य  कराहट नहीं सुन सको  !  हे प्रभु  मैने सुना है  कि  

Wednesday 4 October 2017

शिव संकल्प   - यह संकल्प है  आकाश दीप   के   सितारे   देवेंद्र मित्तल का  जिन्होंने  अपनी  दृश्य   क्षमता के कम जोर होने  के बाद भी  अपने संकल्प का दीप  बुझने नहीं दिया   और  आज   उनका   यह संकल्प  आकाशदीप( NGO  )पर मशाल  बनकर चारो दिशाओ को प्रकाशित कर रहा है पिछले वर्ष   मुझे कक्षा  अध्यापिका और हिंदी  -iअध्यापिका  के रूप में सम्मान देने हेतु  आमंत्रित  किया तब मुझे देवेंद्र का पूरा जीवन वृत  जानने  का अवसर मिला   मुझे गर्व और  प्रसन्नता   हुई  कि जो अंकुर  अरोड़वंश कक्षा कक्ष  में बोया और सींचा  था  वो  वट वृक्ष  बनकर  दूसरो को   छाया और   आश्रय  दे रहा  है  देवेंद्र वस्तुत; शिव  ही है  जिसनेअपनी दृष्टि क्षमता की कमजोरी   का विष पान  करके  अमृत का दान  देने का   संकल्प लिया और उसने अपनी दिव्य दृष्टि और श्रवण  क्षमता के माध्यम से   दूसरो के लिए प्रेरणा की ध्वजा फहराई ! श्रवण  क्षमता के माध्यम से  देवेंद्र ने अपनी  शिक्षा  पूरी की |शिक्षा के प्रारम्भिक काल से लेकर उच्च शिक्षा तक  ८०% अंक  प्राप्त किये | देवेंद्र जब कक्षा ११ में थे तब ही व्यापार   के क्षेत्र में  जो कदम  रखा    वो आज तक  पीछे  नहीं हटा !   गणपति के नाम से  उनकी विभिन्न शाखाएँ  है ज देवेंद्र के  निर्देशन  में कार्य कर रही हैं देवेंद्र  समाज सेवा में भी रूचि रखते  है आशादीप देवेंद्र की निर्देशन में सफलता पूर्वक अपने लक्ष्य की और बढ़रहा है !आशादीप श्री गंगा नगर सहित पूरे राजस्थान की भूमि  को  हरीतिमा देने के लिए संकल्प बद्ध है देवेंद्र की रूचि  संगीत  कला  साहित्य   खेल में भी    है    २०११-12   में मैराथन  दौड़ में भाग  लेकर  सम्मानित हुए  देवेंद्र के ल लेख  iindia Today   राजस्थान पत्रिका  दैनिक भास्कर में निकल  चुके है देवेंद्र के आत्म विश्वास को शत  शत  नमन ! उनकी सफलता का श्रेय उनकी सह धर्मणि रितु को भी है  ! देवेंद्र और अधिक  उन्नत  शिखर की ऒर  बढ़े -इस आशीर्वाद  के साथ  --- आशा भटनागर

शिव संकल्प   - यह संकल्प है  आकाश दीप   के   सितारे   देवेंद्र मित्तल का  जिन्होंने  अपनी  दृश्य   क्षमता के कम जोर होने  के बाद भी  अपने संकल्प का दीप  बुझने नहीं दिया   और  आज   उनका   यह संकल्प  आकाशदीप( NGO  )पर मशाल  बनकर चारो दिशाओ को प्रकाशित कर रहा है पिछले वर्ष   मुझे कक्षा  अध्यापिका और हिंदी  -अध्यापिका  के रूप में सम्मान देने हेतु  आमंत्रित  किया तब मुझे देवेंद्र का पूरा जीवन वृत  जानने  का अवसर मिला   मुझे गर्व और  प्रसन्नता   हुई  कि जो अंकुर  अरोड़वंश कक्षा कक्ष  में बोया और सींचा  था  वो  वट वृक्ष  बनकर  दूसरो को   छाया और   आश्रय  दे रहा  है  देवेंद्र वस्तुत; शिव  ही है  जिसनेअपनी दृष्टि क्षमता की कमजोरी   का विष पान  करके  अमृत का दान  देने का   संकल्प लिया और उसने अपनी दिव्य दृष्टि और श्रवण  क्षमता के माध्यम से   दूसरो के लिए प्रेरणा की ध्वजा फहराई ! श्रवण  क्षमता के माध्यम से  देवेंद्र ने अपनी  शिक्षा  पूरी की |शिक्षा के प्रारम्भिक काल से लेकर उच्च शिक्षा तक  ८०% अंक  प्राप्त किये | देवेंद्र जब कक्षा ११ में थे तब ही व्यापार   के क्षेत्र में  जो कदम  रखा    वो आज तक  पीछे  नहीं हटा !   गणपति के नाम से  उनकी विभिन्न शाखाएँ  है      जो  देवेंद्र के  निर्देशन  में कार्य कर रही हैं देवेंद्र  समाज सेवा में भी रूचि रखते  है आशादीप देवेंद्र की निर्देशन में सफलता पूर्वक अपने लक्ष्य की और बढ़रहा है !आशादीप श्री गंगा नगर सहित पूरे राजस्थान की भूमि  को  हरीतिमा देने के लिए संकल्प बद्ध है देवेंद्र की रूचि  संगीत  कला  साहित्य   खेल में भी    है    २०११-12   में मैराथन  दौड़ में भाग  लेकर  सम्मानित हुए  देवेंद्र के  लेख  india Today   राजस्थान पत्रिका  दैनिक भास्कर में निकल  चुके है देवेंद्र के आत्म विश्वास को शत  शत  नमन ! उनकी सफलता का श्रेय उनकी सह धर्मणि रितु को भी है  ! देवेंद्र और अधिक  उन्नत  शिखर की ऒर  बढ़े -इस आशीर्वाद  के साथ  --- आशा भटनागर


                       
                 
                       
                   

Monday 7 March 2016

shivatav

चल मन शिवत्व की ओर-महा शिव रात्रि का दिन शिव की पूजा का दिन | शिव की पूजा से पूर्व शिव के अर्थ और उन प्रतीकों के अर्थ को जान लेना चाहिए | शिव का अर्थ है लोक कल्याण | शिव लोक मंगल के देवता है | शिव के सारे  प्रतीक लोक मंगल के अमृत रस से भीगे है |  इस अमृत रस का पान वर्तमान के लिये अपेक्षित है | शिव की जटाओ में गंगा पवित्रता की ओर संकेत करती है |शुभ संकल्पों से मन को पवित्र करे और फिर राष्ट्र देवता को समर्पित हो | स्वार्थ परक क्षुद्र राजनीति को त्याग कर लोक हित का संकल्प धारण करना -यही वर्तमान से अपेक्षा हैं शिव के मस्तक की शोभा हैं चंद्रमा जो शीतलता का प्रतीक हैं | कैसी भी परिस्थिति हो स्वभाव  में उग्रता उचित नही है विशेषत: राजनीति  के क्षेत्र में जहां अनेक विरोधी तत्वो में सामंजस्य स्थापित करना होता हैं | स्वभाव में उग्रता से वाणी का विचलन हो जाता हैं बाद में व्यर्थ का वाद-विवाद होता हैं सारा विकास कार्य रुक जाता है | शिव त्रिनेत्र हैं जो विवेक का प्रतीक हैं लोक कल्याण को  ध्यान में रख कर सत्त-असत में अंतर करके निर्णय लेना ही विवेक है |दॄष्टि अपरिमित वर्ग के कल्याण पर होनी चाहिए यह श्रेष्ठ राजनीति की विशेषता है | शिव नील कंठी  है उन्होंने लोक  कल्याण के लिए विषपान किया | सफल नेतृत्व वही हैं जो सारी विषमताओं के जहर को पी कर  नव-निर्माण  कीबात करे | सर्प् विरोधी  तत्वो के प्रतीक है | शिव भस्म रमाते हैं अर्थात् वीत रागी है वैराग्य भावना हैं वर्तमान से यही अपेक्षा है शिव सिर्फ़ मृगछाला धारण करते हैं यह व्यक्तित्व की पारदर्शिता का प्रतीक है | राजनीति में ऐसा ही व्यक्तित्व चाहिए | शिव का नंदी धर्म का प्रतीक हैं धर्म वो जो नीति विवेक पर आधारित हो :जो अपरिमित वर्ग के कल्याण की भूमि पर आधारित हो  |पार्वती शिव की शक्ति है यह आत्मिक शक्ति  का प्रतीक हैं गणेश विघ्न विनाशक हैं |कर्त्तिकेय सेना के प्रतिनिधि है |वर्तमान से इन सब की अपेक्षा है | रे मन शिव की पूजा से पहले शिवत्त्व की ओर चल | शिवत्व ही शिव है-चल मन  शिवत्व की ओर | शिव रात्रि की शुभ कामना
 

Tuesday 26 January 2016

gantantr

गणतन्त्र के आँसू  - विश्व में अनेक शासन हुए लेकिन सफल नही हो सके क्योकि वे जन भावनाओं का दर्पण नही बन पाए | जन आकांक्षाओं  को पूरा कर सके उसके लिए राजतंत्र को स्वीकार किया | पृथु  पहला राजा माना जाता है लेकिन धीरे-धीरे  इसमे भी विकृति आने लगी  इसी तरह कई शासन व्यवस्थाएँ आई लेकिन शोषण का प्रतीक बन कर रह गयी | अन्तिम रुप में लोकतत्र को ही सावधिक श्रेष्ठ मान गया लोकतंत्र शक्ति का केन्द्र जनता को स्वीकार किया गया | जनता का; जनता द्वारा ; जनता के लिये शासन का स्वरूप होता है | इसमे बिना रक्त पात के आसानी से जनता द्वारा सत्ता परिवर्तन हो जाता है | इसी का रुप है -गण-तंत्र जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियो द्वारा शासन - भारत में इस आदर्श व्यवस्था को स्वीकार करते हुए संविधान 26 जनवरी1950 को जनता को साक्षी मानते हुए आत्म अर्पित किया गया | सबसे बड़े गौरव की  बात  यह है कि भारत का प्रथम अधिकारी भी जन - आकांक्षाओं का दर्पण है | गणतन्त्र के इस भव्य भवन का आधार है-समता- क्षमता -ममता |आज इसी की आवश्यकता है | सबको योग्यतानुसार  के समान अवसर  मिलें | समाज की अंतिम सीढ़ी तक लाभांश पहुँचे | un to this last  इसकी आत्मा है |  सबमें सौहार्द बना रहे -यह ममता का भाव है | मानवीय संसाधन को सक्षम हो | राजनैतिक दल गणतन्त्र के प्रहरी है | इनको संकीर्ण राजनीति का पथ  त्याग कर जन-हित के बारे में सोचना चाहिए |संसद जिसमे जन - भावनाओं के फूल खिलते है  उसकी  गरिमा बनाये रखे  |
शब्दों की मर्यादा तो होनी ही चाहिए | पक्ष-विपक्ष में तर्क वितर्क हो लेकिन शोर शराबा नही |  विकास का मार्ग अवरुद्ध नही हो | इससे  गणतंत्र घायल होता है |अश्रु पूरित नेत्रों से आज 67 वां सबसे यह निवेदन करता है कि मेरी गरिमा  बनाये रखे |

Wednesday 13 January 2016

rshmi

हे सूर्य की पहली किरण  द्वार तो मेंने  लिए खोले है लेकिन संदेशा कोई खुशी का है तो मेरे घर आना | अगर संदेशा तेरे पास  कोई  प्यार का है तो मेरा द्वार  खट्खटाना |  यदि तेरे पास मेरे लिए   उमंग और उल्लास है तो तेरा स्वागत है |  निराशा - निशा  ने बहुत  अंधकार कर दिया है  | अपनी रश्मि -करो में आशा का दीप लेकर  यदि आयी है तो आकाश में जो तेने जो सप्त रंग बिखेरे है  उनसे में अपना आँगन सजालूंगी | मैने तो हर द्वार पर हमेशा यही लिखा है ख़ुश रहें हम खुश रहो तुम | आज  भी इसी भावना से  भरा है  मेरा आँचल | सबको मुठ्ठी  भर के प्रकाश दान कर सकूँ | बस यही चेतना मुझे देना जब  भी लिखूं  शुभ लिखूं | नमस्कार मित्रों

Monday 4 January 2016

jiivan

विचारों की नौका फँसी है जीवन के झंझवातो में | यह कैसा तूफान आया जिसने विचार और भावों की लता को मुरझा दिया | यह कैसी सुनामी है  जिसने जीवन का अर्थ ही बदल दिया | स्वप्न  स्वप्न ही रह गया लेकिन समुद्र में उठती लहरे कभी थकती  नही   वह कूल तक सतत् प्रयास करती है कभी तो विचारों की नौका झंझावातो पर विजय पायेगी | कभी तो स्वप्नों को रंग मिलेगा | कभी तो आशा का नीड़ फिर से महकेगा | शुभ शब्दों की वंदनवार द्वार-द्वार पर सजाने का संकल्प अवश्य पूरा होगा | शब्द सीमित है लेकिन  भाव गहरा  है |